Tuesday, April 12, 2011

उसे हमारा और हमें उनका भरोसा है,

उसे हमारा और हमें उनका भरोसा है,
उना के जुड़ वडली गाव में शेरनी बच्चे समेत किसान परिवार के खेत में दो महीने से रहती है

जी न्यूज़ संवाददाता हनीफ खोखर की एक खास रिपोर्ट,
जूनागढ़, गुजरात. १२ अप्रैल २०११
कहेते है के किसी भी जंगली जानवर और इन्सान आसपास में और एक साथ रहते है तो उनके बिच दोस्ती का रिश्ता कायम हो जाता है, फिर वोह चाहे सब से खूंखार जानवर क्यों न हो, जी हा ऐसा ही एक किस्सा सामने आया है गुजरात के गिर के जंगल के इलाके में जूनागढ़ जिले के उना तहशील के जुड वडाली गाव के एक किसान के खेत में एक शेरनी ने पिछले दो महीने डेरा डाला हुवा है,
क्यों की इस शेरनी ने खेत में तिन बच्चो को जन्म दिया है वैसे तो बच्चोवाली शेरनी ज्यादा गुस्सेइली और हमलावर बन जाती है मगर किसान के परिवार को न तो शेरनी शे कोई डर है और न तो शेरनी को किसान परिवार से कोई डर है क्यों की शेरनी पिछले दो महीनो से खेत में अपने बच्चो को साथ रह रही है और बच्चो को बडा कर रही है

गुजरात के जूनागढ़ जिले के उना तहेशील के जुड़ वडली गाव के सरपंच कांतिभाई लवजीभाई उकानी के खेत में एक अजीबो गरीब सामने आया है, कांतिभाई उकनी के खेत को एक शेरनी ने दो महीनो से अपना आशियाना बना लिया है, क्यों की शेरनी ने इस खेत में तिन बच्चो को जन्म दिया हुवा है, हैरत की बात यह है की जब भी शेरनी बच्चे को जन्म देती है तब बच्चो की सुरक्षा के लिये ज्यादा गुस्सेइली और हमलावर बन जाती है, इंसानों से ठीक अपने परिवार से भी दूर चली जाती है मगर, यहाँ शेरनी और उनके ३ छोटे छोटे बच्चे किसान कांतिभाई उकानी के परिवार के साथ घुल मिल के रह रहे है, कांतिभाई उकानी के बच्चे महक और आदर्श और उनके दोस्त का बेटा प्रीत हर रोज शेर के बच्चो के आस पास खेलते रहते है, मगर शेरनी कभी भी किसी पर हमला नहीं करती, हा. एक दुरी जरुर बनाई रखनी पड़ती है, मगर फिर भी शेरनी खुछ नहीं करती और यह सब पिछले दो महीनो से चलता है, अब तो बचे बड़े होने लगे है फिर भी शेरनी बच्चो को लेकर खेत में इधर उधर घुमती रहती है, बच्चे कहते है हमें शेरनी के छोटे छोटे प्यारे बचो के सामने खेलना बहोत अच्छा लगता है,
जुड़ वडली गाव के सरपंच कान्ति भाई का खेत बिल कुल गाव के पास में ही है और गिर के जंगल से बहोत ही करीब है ९० बीघा के इस खेत में गन्ना की खेती है और केशर आम का भी बड़ा बगीचा है इस लिए शेरनी पूरा दिन आम के पेड़ के निचे आराम करती रहती है और बच्चे अपनी मासे मस्तिय करते खेलते रहते है रात को बच्चो को गन्ने के खेत में छिपा कर शिकार करने के लिए चली जाती है, क्यों के इस इलाके में तेंदुवे की भी बड़ी आबादी है इस लिए शेरनी को तेंदुवे से भी बच्चो को बचाना पड़ता है, इसी लिए तो दो महीने से इस खेत को ही अपना आशियाना बना लिया है, महेमन बनी इस शेरनी को भी विश्वास हो चूका है की उनके बच्चे इसिही जगह सुरक्षित है, इतना ही नहीं शेरनी जब भी शिकार के लिए आसपास में जाती है तब बच्चो को अकेला छोड़कर जाती है, कांतिभाई उकानी का परिवार और गाव के लोग शेरनी का बहोत ही ख्याल रहते है, इस खेत के मालिक कांतिभाई का कहेना है की जब से शरनी हमारी महेमन बनी है तब से खेत में भरी नुकसान हो रहा है, कोई भी अकेला खेत में जा नहीं सकता, क्यों के शेरनी कहा होती है उसका कोई पता नहीं चलता, कभी गलती से आमना सामना हो जाये तो शेरनी बच्चो की सुरक्षा की खातिर हमला भी करसकती है, इस लिए खेत के अन्दर फसलो को पानी पिलाने के लिए या दुसरे कामो के लिए हमने जाना बंध कर दिया है, हमारा नुकशान चाहे कितना भी हो मगर हम नहीं कहते की शेरनी हमारे खेत से चली जाये हम कहते है की शेरनी हमेशा हमेशा के लिए यहाँ रहे और उनके बच्चो को बड़ा करे.

यह घटना पहेलिबर नहीं हुई इस खेत में पहेले भी कई बार शेरनी जंगल छोड़कर बच्चो को जन्म देने के लिए आई है, कांतिभाई के पिता लवजीभाई और उनके ८० साल के बुजुर्ग पिता भवानभाई तो २४ घंटे खेत में ही रहते है उनपर भी कभी शेरनी ने हमला नहीं किया, भवानभाई का कहेना है की यह सिल सिला कई साल से चला आ रहा है, शेरनीया हर साल हमारे खेत में और आसपास के इलाके में बच्चे को जन्म देने को आती है, शेरनी खेत में बच्चो को छोड़ कर आसपास में मवेशिका शिकार करने चले जाती है और बच्चे यहाँ खेलते रहते है, और में उनकी देखभाल करता हु, हमें उनसे कोई डर नहीं लगता क्यों की हमें उसका भरोसा है उसको हमारा भरोसा है

गिर का जंगल दुनिया का अकेला जंगल है जहा एशियाई शेर का निवास हे, गुजरात के इस गिर के जंगल में 2010 में शेरो की हुई आखरी गिनती के अनुसार कुल मिलके 411 शेर है और पिछली मेटिंग शीजन में 30 % शेरनी गर्भवती थी उनमे से ज्यादातर शेरनी ने दो से तिन बच्चो को जन्म दिया है, एशियाटिक शेरो के बारे जानकर हनीफ खोखर का कहेना है की वैसे तो शेरनीया शेरो के जुंड (प्राइड) के साथ में ही रहेती हे मगर जब उसको बच्चो को जन्म देना होता है तब शेरनी अपने जुंड से अलग हो जाती है और शेरनिया बच्चो को ऐसी जगा जन्म देने चली जाती हे जिस जगह के बारे में कोई भी जंगली जानवर को पता न चले या किसी को भी शेरनी और बच्चो के बारे में कोई भनक तक न हो इस तरह से दूर दराज के इलाको में या ऐसे खेतो जैसी सुरक्षित जगहों पर ही रहेकर बच्चो को बड़ा करती है, जबतक बच्चे बड़े न हो जाये तब तक शेरनिया अपने जुंड से अलग ही रहती हे, नहीं तो अपने ही जुंड के शेर या दूसरी शेरनिया ही बच्चो को मार देता है या तो तेंदुवे, लकड़ बघ्घे जेसे जंगली जानवर मार देते है. इसी लिए शेरनिया जंगल के बाहरी इलाको में चली जाती है,

इस अनोखी घटना के बारेमे जब वन विभाग को पता चला तो गिर फोरेस्ट सेंचुरी के प्रिंसिपल चीफ वाइल्ड लाइफ कंजरवेटर आर. एल. मीणा ने ख़ुशी जाहिर करते हुवे कहा की गिर के शेरो की सुरक्षा तो यहाँ के गाव के लोग और मलधारी कर रहा हे लोगो को तेंदुवे से दर जरुर लगता है मगर शेर से कोई खतरा नहीं हे, शेर भी इंसानों का ख्याल रख रहे है और इसी लिए गिर में शेरो की संख्या बढ़ी है, कांतिभाई और उनके परिवार की तारीफ करते हुवे मीणा ने कहा की यह किसान परिवार शेरनी और उनके बच्चो की अच्छी सुरक्षा कर रहा हे इस लिए हम यह कहते है की अय्से लोगो को प्रोत्साहन देने के लिए वन विभाग द्वारा उनको सन्मानित करने का सोच रहे है क्यों के गुजरात वन विभाग के कर्मचारी तो शेरो की सुरक्षा का जिम्मा उठाते ही हे मगर असलमे शेरो की सुरक्षा यहाँ के लोग ही कर रहे हे यही सब से बड़ी ख़ुशी की बात है.

जूनागढ़ जिले के उना तहेशील का यह जुड़ वडाली गाव गिर के जंगल के बहोत ही करीब है और और श्र के जुंड अक्षर इस इलाके में आते रहते है मगर शेर कभी भी किसी पर हमला नहीं करते दूसरी और यहाँ के लोग भी शेर से इतना घुल मिल गए है की शेर को छेड़ना तो एक तरफ शेरो का संरक्षण करते है, कभी कभा शेर और इंसानों का अचानक आमना सामना हो जाता है तब हमले की घटना बनती है मगर ऐसे किस्से बहुत ही कम सामने आये है, ज्यादातर तो इसी किस्से की तरह शेर और इंसानों के बिच दोस्ती के किस्से ही मशहूर हुवे है, इस सच्ची कहानी में भी इन्सान और जंगली जानवर के बिच प्यार और निर्भयता साफ दिखे देती है. और इन्ही वजह से गुजरात के इस गिर के जंगल में शेर सुरक्षित है और उनकी संख्या बढ़ रही है,